Tuesday, 26 November 2013

For my darling Aryahi..

कुछ  तो  होता  है ,
रिमझिम  बारिश यूँही  नहीं होती है रातों में,
कुछ  तो  होता  है , 
फूल सी परी यूँही नहीं आती है बाँहों में। 

उसके हँसने से
मैं सारे ग़म भूल जाती हूँ,
उसके रोने से
मैं आंसुओं में डूब जाती हूँ।

नन्हीं-नन्हीं उँगलियों से
जब वो मुझे छूती है,
मेरे मन के दर्पण में
हज़ारों फूल खिल उठते हैं।

आज लिख रही हूँ
क्यूंकि मैं अपनी भावनाएँ बयां नहीं कर सकती,
उसे देख, लाखों तरंगें उठतीं हैं, दिल में,
लेकिन एक साथ मैं उनको, उसपर, लुटा नहीं सकती।

शायद इसीलिए लोग कहते हैं,
ये रिश्ता है अनोखा,
बिन बोले हर बात समझ जाते हैं,
ये रिश्ता है, दिल से, दिल का।